Razakar सेना कैसी थी ?
रजाकार कट्टर और बर्बर लोगों का राजनैतिक संगठन था । हैदराबाद में रजाकार के सदस्य हथियार लेकर गलियों में समूह बनाकर भड़काऊ व जिहादी नारे लगाते हुए मार्च किया करते थे ।
Razakar का सिर्फ और सिर्फ एक मकसद था हैदराबाद की सनातन धर्मावलंबियों पर जुल्म करना रजाकारों का सबसे बड़ा नेता कासिम रिजवी था। रजाकारों ने अनेक सनातन धर्मावलंबियों के बड़ी क्रूरता से जान ली थी । हजारों सनातन धर्म की महिलाओं के साथ बलात्कार किया था ।लाखों हिंदू बच्चों को पकड़कर जबरदस्ती खतना किया गया था ।और जो किसी भी काम लायक नहीं थी उन्हें उन्होंने निर्दयता पूर्वक मौत के घाट उतार दिया था ।
AIMIM के qasim rizvi razakar ने जनसंख्या बढ़ाने के लिए बाहर से मुसलमानों को लाकर हैदराबाद में बसाने की कोशिश भी की । हैदराबाद के ही आर्य समाज की सबसे बड़े नेता श्यामलाल वकील की रजाकारों ने खुलेआम सबके सामने जान ले ली थी ।
राजा कारों के समूह ने न केवल हैदराबाद के हिन्दुओ के ऊपर अत्याचार कर रहे थे बल्कि बॉर्डर के राज्यों में भी जाकर वहां के सनातन धर्मावलंबियों को चैन से नहीं जीने दे रहे थे ।
Razakar AND Communist
और जैसा कि होता है आया है कम्युनिस्ट इनकी हर अपराध में इनका खुलकर साथ देते हैं । उसी तरह मद्रास के कम्युनिस्ट भी इन अपराधियों के साथ हो गए एम आई एम का नेता कासिम रिजवी और उसके जितने भी साथ में नेता थे भड़काऊ व उत्तेजक भाषण से मुगलों को सनातन धर्म लांबी ऊपर जुड़ने के लिए भड़का रहे थे ।
हैदराबाद के सरकारी रेडियो से दिन प्रतिदिन खुलेआम ऐलान किया जाता था । 31 मार्च 1948 को एम आई एम के सबसे बड़े नेता कासिम रिजवी ने हैदराबाद के मुसलमानों से खुलेआम कहा कि एक हाथ में कुरान पकड़ो और दूसरे हाथ में तलवार लेकर हिंदुस्तान पर चढ़ाई कर दो उसने यह भी दावा किया कि जल्द ही दिल्ली के तख्त पर हैदराबाद के निजाम का हरा झंडा लहराएगा।
धर्मांधता व कट्टरता का नशा ऐसा था कि हैदराबाद के निजाम ने एक कानून बना दिया कि भारत की मुद्रा जिसे रुपया कहते हैं वह हैदराबाद में किसी भी कीमत पर नहीं चलेगा और जो भी लेगा उसे कड़ा से कड़ा दंड दिया जाएगा । और इस राजनीतिक पार्टी की नमक हरामी और गद्दारी की कहानी यह है कि, जिस समय भारत से पाकिस्तान से जंग चल रही थी ।
Razakar Qasim Rizvi Help Pakistan
उस समय हैदराबाद के निजाम ने हिंदुस्तान को हराने के लिए पाकिस्तान की मदद करने के लिए और पाकिस्तान को हथियार खरीदने के लिए ₹20 करोड़ की मदद भी कर दी थी जरा सोचिए उस समय ₹20 करोड़ ₹ की क्या वैल्यू रही होगी ???
यही नहीं हैदराबाद के निजाम ने कराची के रियासत का एक जनसंपर्क अधिकारी बिना भारत सरकार को बताएं उसने नियुक्त कर दिया । हैदराबाद में जितने भी सरकारी नौकरियां थी 99% नौकरियों पर मुगलों का कब्जा था। हैदराबाद के निजाम पर सनातन धर्मावलंबी पर किस प्रकार के जुल्म होते थे कि हर हाल में उन्हें मुसलमान बनाकर ही दम लिया जाये ।
हिंदू बिना हैदराबाद के निजाम के बिना, बिना पुलिस की अनुमति के कोई त्यौहार नहीं हैदराबाद की रियासत में मना सकते थे ।किसी प्रकार के लाउडस्पीकर मंदिरों पर लगाने की अनुमति नहीं थी । किसी भी प्रकार का कोई जुलूस या सम्मेलन कोई भी सनातन धर्म और लंबी नहीं कर सकता था । नफरत का अंदाजा तो आप इस बात से लगा सकते हैं कि सनातन धर्म लांबिया को अखाड़े में कुश्ती तक लड़ने की इजाजत नहीं थी ।
और जो सनातन धर्मावलंबी मुसलमान बनता था उसे सरकारी नौकरी ,प्रॉपर्टी ,लड़कियां, सब कुछ निजाम साहब दिया करते थे । तबलिगी जमात वालों का काम था हिंदुओं को हर प्रकार से लालच से साम-दाम-दंड-भेद अपना कर किसी प्रकार से उन्हें मुसलमान बनाया जाए ।
जब भी कोई हिंदू अखबार अथवा साप्ताहिक पत्रिका के माध्यम से हैदराबाद के निजाम के जुर्म की कहानी को हैदराबाद से बाहर बताने की या छापने की प्रयास करता तो उसे जेल में डाल कर कड़ी से कड़ी सजाएं दी जाती थी ।
Razakar Qasim Rizvi And Neharu
इसी हैदराबाद के निजाम ने 29 नवंबर 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू के साथ एक एग्रीमेंट साइन किया कि हैदराबाद की स्थिति वैसी ही रहेगी जैसे आजादी से पहले अंग्रेजों के समय थी ।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के इन घटिया समझौतों के कारण सरदार पटेल तंग हो गए और हैदराबाद के निजाम की देशद्रोही हरकतों के कारण 10 सितंबर 1948 को सरदार पटेल ने अपने हाथ से एक लेटर लिखा । और हैदराबाद के निजाम को आखिरी मौका दिया हिंदुस्तान में शामिल होने के लिए ।
लेकिन हुआ वही हैदराबाद के निजाम ने सरदार पटेल की आवेदन को ठुकरा दिया ।और खुलेआम एम आई एम के नेता कासिम रिजवी ने भारत सरकार और सरदार पटेल को धमकी दी यदि हैदराबाद पर भारत की आर्मी ने हमला किया तो हैदराबाद में रह रहे 6 करोड़ हिंदुओं के लाश की बोटी तक नहीं मिलेगी ।
उसके बाद हुआ वही जो सरदार पटेल जिस रूप में जाने जाते थे । सरदार पटेल ने अपना असली रूप दिखाया सितंबर 1948 में भारतीय आर्मी ने ऑपरेशन पोलो चलाकर हैदराबाद का भारत में विलय कर लिया । राजनीतिक गलियारे में तो यह भी चर्चा थी कि पंडित जवाहरलाल नेहरू सरदार पटेल के इस फैसले से एकदम नाराज थे और सरदार पटेल का फोन उन्होंने गुस्से से जमीन पर पटक दिया था ।